सामाजिक न्याय
ऐसे विचारों और प्रयासों पर चर्चा जो सामाजिक रूप से हाशिए पर मौजूद समुदायों के लिए संसाधनों, अवसरों और अधिकारों तक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में काम करते हैं।
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बीते तीन महीनों से मणिपुर में हो रही हिंसा के प्रभाव की कहानी
मणिपुर में सामाजिक न्याय के लिए महीनों से चल रहे संघर्ष और हिंसा की पूरी कहानी और यह भी कि आप कहां और कैसे मददगार बन सकते हैं। -
विमुक्त जनजातियों पर पुलिसिया पहरे के पीछे जातिवाद है
अंग्रेज़ी राज में बनी आपराधिक न्याय प्रणाली आज भी पुलिस के लिए विमुक्त जनजातियों और पिछड़े समुदायों के उत्पीड़न का हथियार बन रही है।अशोक द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
आत्मदाह और एसिड हमले के पीड़ितों को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए?
एसिड हमले और आत्मदाह के पीड़ितों को ऐसे पुनर्वास कार्यक्रमों की जरूरत है जिनमें समाज और वे खुद भी उन्हें उनके बदले स्वरूप में स्वीकार कर सकें। -
आंकड़े मुस्लिम महिला श्रमिकों के बारे में क्या नहीं बताते हैं?
महामारी ने जहां एक तरफ़ मध्य और उच्च वर्ग की मुस्लिम महिलाओं के लिए नौकरी पाना आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर निम्न-आय वाले परिवारों और प्रवासियों को इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है।मैकऑर्थर फ़ाउंडेशन द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
क्यों बाल-विवाह पर असम के मुख्यमंत्री की कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए?
बाल-विवाह का अपराधीकरण कर असम सरकार एक तरफ जहां महिलाओं के निजी चुनाव के अधिकार का हनन कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इसके रोकथाम के प्रयासों को भी कमजोर कर रही है। -
घुमंतू और विमुक्त जनजातियों के मानसिक न्याय के लिए मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरी है
घुमंतू और विमुक्त जनजातियां भेदभाव, अन्याय और विकास योजनाओं के अभाव का सामना करती हैं। इन समुदायों के मानसिक स्वास्थ्य को इनके संघर्ष से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। -
जब तक जातिगत समुदायों की कोई जानकारी ही नहीं होगी तो उनके विकास की तैयारी कैसे होगी?
भारतीय प्रशासन जाति-आधारित भेदभाव पर आंकड़े और जानकारी इकट्ठा करने से व्यवस्था के स्तर पर इनकार करता है लेकिन यह इसके ही विकास के प्रयासों को कमजोर करता है। -
आईडीआर इंटरव्यूज । बेज़वाड़ा विल्सन
सफ़ाई कर्मचारियों द्वारा मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा के विरुद्ध ताउम्र संघर्ष करनेवाले बेज़वाड़ा विल्सन दलितों के नेतृत्व में ज़मीनी स्तर पर तैयार किए जाने वाले आंदोलन की बात करते हैं। वह चाहते हैं कि यह आंदोलन इस अमानवीय प्रथा का अंत करने में मददगार साबित हो और इस प्रथा के शिकार लोगों को इससे मुक्ति मिल सके। -
बाल विवाहों को रोकने के लिए क़ानून बनाने के अलावा हमारे पास क्या विकल्प हैं?
बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम 2021 में लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन बाल विवाह को ख़त्म करने के लिए यह कदम काफ़ी नहीं होगा।