असमानता
लैंगिक, शैक्षणिक, जातिगत, रोजगार और अन्य सामाजिक असमानताओं के आपसी जुड़ाव को समझना और समाज पर इनके प्रभाव का गहराई से विश्लेषण करना।
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नियति से साक्षात्कार: समावेशी प्रगति की राह
पूर्ण स्वराज को साकार करने के लिए हमें सोचना होगा कि विकास का असली मकसद क्या है और हम समाज में न्याय और समानता के मूल्य कैसे स्थापित कर सकते हैं। -
क्वीयर और ट्रांस समावेशन: ढांचागत सोच से सशक्त होगी भागीदारी
समावेशन पर चर्चा के बावजूद क्वीयर और ट्रांस व्यक्तियों को अब भी संस्थानों, आजीविका के विकल्पों और नीति-निर्माण के मंचों से व्यवस्थित बहिष्कार झेलना पड़ता है। -
‘औरतों का काम’: विकास सेक्टर में लैंगिक भेदभाव दिखता नहीं, तो क्या है नहीं?
कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव कई बार दिखाई नहीं देता है, इसलिए इसे पहचानना और इस पर बात करना जितना जरूरी है, उतना ही इसके समाधान के लिए ठोस नीतियां बनाना भी। -
बुंदेलखंड की चप्पल प्रथा: स्वाभिमान की कीमत पर सम्मान
बुंदेलखंड इलाके के ललितपुर जिले में आज भी चप्पल प्रथा कायम है जो दलित समुदाय खासकर, महिलाओं के लिए अपमान और असुविधा का कारण बन रहा है। -
फोटो निबंध: अवसरों की कमी और आजीविका के संकट से जूझते डोकरा कलाकार
झारखंड के डोकरा कलाकार पीतल से सजावटी सामान और कलाकृतियां बनाते हैं, लेकिन अब उनके लिए इस कला को जारी रख पाना एक चुनौती बन गया है। -
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महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी बाधा बनने वाला पितृसत्तात्मक समझौता क्या है?
कई बार महिलाएं उनके दमन के कारकों के खिलाफ खड़े होने की बजाय उन्हें मज़बूत करने लगती हैं जो उन्हें केवल अस्थाई लाभ दे सकते हैं। -
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जब तक जातिगत समुदायों की कोई जानकारी ही नहीं होगी तो उनके विकास की तैयारी कैसे होगी?
भारतीय प्रशासन जाति-आधारित भेदभाव पर आंकड़े और जानकारी इकट्ठा करने से व्यवस्था के स्तर पर इनकार करता है लेकिन यह इसके ही विकास के प्रयासों को कमजोर करता है।