फंडिंग
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क्वीयर और ट्रांस समावेशन: ढांचागत सोच से सशक्त होगी भागीदारी
समावेशन पर चर्चा के बावजूद क्वीयर और ट्रांस व्यक्तियों को अब भी संस्थानों, आजीविका के विकल्पों और नीति-निर्माण के मंचों से व्यवस्थित बहिष्कार झेलना पड़ता है। -
कला में निवेश है सामाजिक बदलाव की कुंजी
भारत के विकास सेक्टर में कला की भूमिका केवल कुछ प्रयासों तक सीमित है। यह स्थिति क्यों बदलनी चाहिए और फंडर कैसे दिखा सकते हैं एक नयी राह? -
क्या है एक रीसर्चर का काम
सीमित फंडिग का क्या हैं परिणाम, समस्याओं की पहचान या समस्याओं का आविष्कार? -
सामाजिक उद्यमी कैसे बनें?
सामाजिक उद्यमी बनने के लिए आपको किन कौशलों की जरूरत है, वे कौन सी चुनौतियां है जिनका सामना आपको करना पड़ सकता है और वे कौन से पहलू हैं जहां आपको मदद की जरूरत पड़ती है। -
एफसीआरए क्या है और समाजसेवी संस्थाओं के लिए यह महत्वपूर्ण क्यों है?
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) का इतिहास, भारतीय समाजसेवी संस्थानों पर प्रभाव और इससे जुड़े विवादों की जानकारी।