पर्यावरण
-
फोटो निबंध: पॉपलर की कमी से जूझता कश्मीर का ‘पेंसिल गांव’
कश्मीर का ओखू गांव भारत में पेंसिल की स्लैट का सबसे बड़ा उत्पादक है। पॉपलर वृक्षों की कटाई ने लकड़ी की आपूर्ति, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था—तीनों को संकट में डाल दिया है। -
जब तक सूरज-चांद रहेगा, किसका-किसका नाम रहेगा?
बड़ी घोषणाओं की जमीनी हकीकत में अक्सर विरोधाभास नजर आता है। -
नदियों की कहानी, समुदायों की ज़ुबानी : पूर्वोत्तर जनस्मृति का डिजिटल अभिलेख
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच, नदी किनारे बसे समुदाय मेमोरी मैप्स, ऑडियो नोट्स और तस्वीरों के माध्यम से मौखिक इतिहास और पारंपरिक अनुकूलन रणनीतियों को संरक्षित कर रहे हैं।कॉमन्स ग्राउंड द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
क्या है जल सुरक्षा: भारत की चुनौतियां और समाधान
किसी भी देश की सुरक्षा सिर्फ़ उसकी सीमाओं से संबंधित कारकों पर ही निर्भर नहीं होती। पानी जैसे संसाधनों की स्थिति भी सुरक्षा को प्रभावित करती है। -
सेविंग द अर्थ: वन स्पीच एट ए टाइम
पर्यावरण जैसे अहम मुद्दे पर काम करने वाली संस्थाओं की कथनी और करनी में अक्सर विरोधाभास नजर आता है। -
आईडीआर से समझिए: सामुदायिक संसाधन या कॉमन्स क्या हैं?
सामुदायिक संसाधनों के प्रकार, इतिहास, संरक्षण प्रयासों और कानून पर वह सबकुछ जो आपको जानना चाहिए।कॉमन ग्राउंड इनिशिएटिव द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
रिवर फ्रंट: नदी, नियोजन और पर्यावरणीय सरोकार
किसी भी राज्य में रिवर फ्रंट से जुड़ी गतिविधियों की शुरुआत से पहले वहां की भौगोलिक परिस्थितियों और स्थानीय लोगों को भरोसे में लेना भी जरूरी है। -
-
शहर में बेघर, ऊपर से ठंड का कहर
अक्सर शहरों को सुंदर बनाए जाने के दौरान बेघर लोगों से उनके अस्थाई आश्रय भी छीन लिए जाते हैं जो ठंड और बारिश में उनका जीवन और कठिन बना देता है।