हल्का-फुल्का
विकास सेक्टर में काम करते हुए आने वाले हल्के-फुल्के पलों के किस्से, तस्वीरें और गीत।
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एनजीओ वालों से ना पूछो: इस पेशे में कितना पैसा, कैसा पैसा?
समाज को बदलने के बुलंद इरादों लेकिन उतनी ही कम सैलरी के चलते एनजीओ वर्कर को समाज और परिवार जिस तरह से देखता है, उसमें जमीन-आसमान का फर्क दिखता है। -
गणतंत्र दिवस पर दिल में देशभक्ति के अलावा और कौन-कौन से भाव आते हैं?
गणतंत्र दिवस पर स्कूल के बच्चों से लेकर शिक्षक, सरपंच और बाकी तमाम लोगों की चिंताओं की वजहें एक-दूसरे से एकदम अलग होती हैं। -
लड़कियां क्या कुछ नहीं कर सकती हैं लेकिन…
स्कूल से लेकर नौकरी तक और नौकरी से लेकर चांद तक, महिलाएं हर जगह पहुंच सकती हैं लेकिन वहां से लौटने के बाद उन्हें कुछ तय काम करने ही हैं। -
नया साल, नया संकल्प! लेकिन दफ्तर वही पुराना?
सभी की तरह सामाजिक क्षेत्र के कर्मचारी भी नए साल में बड़े संकल्प लेते हैं। यहां कुछ ऐसे ही मजेदार संकल्पों का ज़िक्र है जिन्हे वे कभी नहीं निभा पाएंगे! -
चर्चा शहरी, चुनौती जमीनी
एकाध अपवाद छोड़ दें तो विकास सेक्टर की ज्यादातर कॉन्फ्रेंस और सम्मेलन जमीनी स्तर से दूर ही नजर आते हैं। -
भारी प्रदूषण से बचने के कुछ हल्के-फुल्के उपाय!
प्रदूषण से जुड़े ये उपाय बचने के काम आएं या ना आएं, हंसने के काम जरूर आएंगे। -
विकास सेक्टर की पहेलियां
सिद्दांतों और तनख़्वाह का संतुलन! -
विकास सेक्टर में काम करने वालों के लिए प्रस्तावित मौलिक अधिकार
संविधान हमें संवैधानिक अधिकार देता है लेकिन यहां पर विकास सेक्टर के लिए जरुरी कुछ ‘सुविधानिक अधिकारों’ की बात की गई है। -
नौकरी पाने की नई (अनिवार्य) शर्त!
आपको नौकरी मिलने में अड़चन नहीं आएगी, अगर आप यह सीख ध्यान में रखेंगे।