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सरकार और समर्थन

जेल वापसी का आदेश

नागेंद्र और शुभंकर कोविड-19 अंतरिम जमानत और वापस जेल जाने की बात करते हैं-ज़मानत
१० अप्रैल २०२३ को प्रकाशित

2020 में, COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए अन्य जगहों के साथ-साथ जेलों में भी भीड़ कम करने की आवश्यकता महसूस हुई। इसके मद्दे नज़र सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने दिल्ली में 3,000 से अधिक अंडरट्रायल कैदियों और दोषियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा कर दिया। कोर्ट ने 25 मार्च 2023 को पैरोल पर रिहा हुए सभी को 15 दिन के भीतर वापस लौटने का आदेश दिया है।

तीन साल लम्बा समय होता है। इस दौरान बेल पर बाहर निकले लोगों के जीवन में कई तरह के बदलाव आ चुके हैं। दिल्ली के उत्तर पश्चिम जिला के रोहिणी इलाक़े में रहने वाले नागेंद्र को नौकरी के लिए एक साल तक संघर्ष करना पड़ा। उसने बताया कि “मुझे एक पार्ट-टाइम नौकरी ढूँढने में एक साल लग गया। निजी क्षेत्रों में नौकरी के लिए जाने पर वे लोग सबसे पहले सत्यापन (वेरिफ़िकेशन) करते हैं; इससे उन्हें मेरी पृष्ठभूमि के बारे में पता चल जाता है।” जब वह इस पार्ट-टाइम नौकरी और साइबर कैफ़े में अपनी नौकरी के साथ संघर्ष कर रहा है उसी बीच उसके वह चाचा लकवाग्रस्त हो गए जिन्होंने जेल में रहने के दौरान उसे आर्थिक और भावनात्मक सहारा दिया था। इसका सीधा अर्थ अब यह है कि 12 लोगों वाले अपने संयुक्त परिवार के लिए अब वह और उसका भाई ही कमाई का एकमात्र स्त्रोत रह गए हैं।

नौकरी पाने में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करने के बाद, दिल्ली के पश्चिम जिले के नांगलोई में रहने वाले शुभंकर ने पहले नमक बेचने का काम शुरू किया और फिर दुकान लगाने के लिए पैसे उधार लिये। अब उसे जेल वापस लौटना है और परिवार को उसका व्यापार चलाने में मुश्किल होगी।

उसका कहना है कि “मेरे पिता कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे और उनकी हालत ठीक नहीं है। उनके हाथ में इन्फेकशन है और उनकी उँगलियों ने काम करना बंद कर दिया है। अपने घर में मैं ही एकलौता कमाने वाला हूं। मैंने अपने परिवार में किसी को भी जेल वापस लौटने वाली बात नहीं बताई है। मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहता हूं।”

शुभंकर अपने काम के लिए लिए गए कर्ज को ना लौटा पाने को लेकर चिंतित है। “अब जब मैं आत्मसमर्पण करता हूं और उधार लिए गए पैसे नहीं लौटाता हूं तो लोग मुझे धोखेबाज़ समझेंगे। फिर कभी कोई मेरी मदद नहीं करेगा।”

नागेंदर प्रोजेक्ट सेकेंड चांस में एक फील्ड वर्कर भी हैं, जो दिल्ली में जेल सुधार पर केंद्रित एक समाजसेवी संस्था है। शुभंकर दिल्ली में अपना व्यापार करने वाले एक सूक्ष्म उद्यमी हैं।

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ें

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