नेतृत्व और हुनर
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सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षा युवाओं के लिए क्यों जरूरी है?
सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षा यानि सेल, युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ उनके दैनिक जीवन की चुनौतियों का समाधान करने में भी मदद करता है। -
थियेटर ऑफ द ऑप्रेस्ड: वंचितों का रंगमंच जिसमें हम सब कलाकार हैं
कैसे समाजसेवी संस्थाएं, थियेटर ऑफ द ऑप्रेस्ड का इस्तेमाल कर शिक्षा, समाज और पर्यावरण से जुड़े तमाम मुद्दों पर एक नई तरह से संवाद विकसित कर सकती हैं। -
समाजसेवी संस्थाओं में वॉलंटियर सहभागिता को बढ़ाने के पांच कारगर उपाय
सही और स्पष्ट तरीक़े से अपनी बात कहना और सहभागिता की शर्तें बताना अधिक से अधिक लोगों को वॉलंटियरिंग और सार्वजनिक सेवा की ओर प्रेरित कर सकती हैं। -
सरल-कोश: कैपेसिटी बिल्डिंग
अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश - विकास सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले कठिन शब्दों की सरल व्याख्या। -
सामाजिक उद्यमी कैसे बनें?
सामाजिक उद्यमी बनने के लिए आपको किन कौशलों की जरूरत है, वे कौन सी चुनौतियां है जिनका सामना आपको करना पड़ सकता है और वे कौन से पहलू हैं जहां आपको मदद की जरूरत पड़ती है। -
विकास सेक्टर में मजबूत फैसिलिटेटर बनने के आठ नुस्खे
फैसिलिटेशन, विकास सेक्टर में काम करने वाले साथियों के काम में शामिल एक अनिवार्य चीज है। यह वीडियो फैसिलिटेशन के दौरान आने वाली कुछ समस्याओं और उनके समाधानों पर बात करता है। -
समाजसेवी संस्थाएं अपनी विफलताओं पर बात क्यों नहीं करती हैं?
कुछ वास्तविक तो कुछ काल्पनिक जोखिम, समाजसेवी संस्थाओं को उनकी असफलता पर बात करने से रोकते हैं लेकिन अगर संस्थाएं और फंडर्स चाहें तो इस पर सहज संवाद हो सकता है। -
क्यों सामाजिक संस्थाओं को लोकल और ग्लोबल स्तर पर साथ काम करना चाहिए
आने वाले समय में सामाजिक संस्थाओं की प्रासंगिकता इस बात से भी तय होगी कि छोटे स्तर पर किए जा रहे उनके प्रयास वैश्विक तस्वीर का हिस्सा किस तरह से बन रहे हैं। -
बंकर रॉय: ‘साधारण से समाधान को लागू करना सबसे अधिक कठिन होता है’
बेयरफुट कॉलेज के संस्थापक बंकर रॉय से उनकी यात्रा में आने वाली चुनौतियों और उनसे मिलने वाले अनुभवों और सीख पर, पत्रकार रजनी बख्शी से हुई बातचीत।