सृष्टि गुप्ता
सृष्टि गुप्ता आईडीआर में एक सम्पादकीय विश्लेषक हैं और लेख लिखने, सम्पादन और अनुवाद से जुड़े काम करती हैं। इससे पहले सृष्टि ने स्प्रिंगर नेचर में संपादन से जुड़ा काम किया है। उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए किया है और लिंग, सामाजिक न्याय, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर शोध करने में रुचि रखती हैं।
सृष्टि गुप्ता के लेख
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हल्का-फुल्का कॉन्वेंट में पढ़कर भी तुम्हें सोशल सेक्टर में काम करना है, क्यों कॉन्वेंट में पढ़कर भी तुम्हें सोशल सेक्टर में काम करना है, क्यों?
ऐसे ही कुछ सवाल और प्रतिक्रियाएं जो मेरा परिवार मेरी विकास सेक्टर की नौकरी पर करता रहता है। कॉन्वेंट में पढ़कर भी तुम्हें सोशल सेक्टर में काम करना है, क्यों?अशोकहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
पर्यावरण क्या स्थानीय मोबाइल रिपेयर की दुकानें ई-कचरे को कम करने में मदद कर सकती हैं?
कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयर की दुकानों लंबे समय से उपकरणों के जीवनकाल को बढ़ाने में मदद कर रही हैं। लेकिन उन्हें जीवित रहने के लिए समर्थन की ज़रूरत है। -
हल्का-फुल्का शायर कार्यकर्ता का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
शायर कार्यकर्ता से आईडीआर की काल्पनिक बातचीत, जिसका वास्तविक घटनाओं से भरपूर मेल है। -
नज़रिया राजस्थान में आज भी महिलाओं को डायन बताने की कुप्रथा क्यों क़ायम है?
राजस्थान समेत देशभर में आज भी महिलाओं को डायन बताकर उत्पीड़ित करने की कुप्रथा है जिसकी जड़ें पितृसत्ता, मानवीय लालच और कमजोर कानूनों में दबी दिखाई देती हैं। -
लिंग महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने का मतलब उन्हें सशक्त बनाना होना चाहिए
समाजसेवी संस्थाओं को महिलाओं को सबसे पहले समझाना होगा कि भूमि अधिकार उनके सम्मान से जीने का अधिकार भी है।वुमैनिटी फ़ाउंडेशन द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड