श्रेया अधिकारी
श्रेया अधिकारी आईडीआर में एक संपादकीय सहयोगी हैं। वे लेखन, संपादन, सोर्सिंग और प्रकाशन सामग्री के अलावा पॉडकास्ट के प्रबंधन से जुड़े काम करती हैं। श्रेया के पास मीडिया और संचार पेशेवर के रूप में सात साल से अधिक का अनुभव है। उन्होंने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल सहित भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कला और संस्कृति उत्सवों के क्यूरेशन और प्रोडक्शन का काम भी किया है।
श्रेया अधिकारी के लेख
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आजीविका भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों से भरे कल में मैकेनिक कहां दिखते हैं?
भारत की पर्यावरण प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन जैसी समस्याओं का हल ई-वाहनों में खोजा जा रहा है लेकिन क्या परंपरागत वाहनों को सुधारने वाले अनगिनत मैकेनिक भी इसमें शामिल हैं? -
पर्यावरण देश में शीत लहरों की संख्या क्यों बढ़ रही है?
शोध बताते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में साल 1982 से 2020 के बीच शीत लहरों की संख्या पांच गुना बढ़ गई है और इससे सबसे अधिक प्रभावित उत्तर भारतीय राज्य होते हैं। -
पर्यावरण -
पर्यावरण इंसान और वन्यजीवों के बीच जंगल का बंटवारा कैसे हो?
जलवायु परिवर्तन जंगली जानवरों और उनके आवास के लिए एक बड़ा ख़तरा है और यह इंसानों से उनके संघर्ष की संभावना भी बढ़ाता है।दसरा द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
लिंग फ़ोटो निबंध: भारत की आदिवासी महिला नेता क्या अलग कर रही हैं?
महिलाओं को सशक्त बनाने और युवा लड़कियों के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने से लेकर अपने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने तक का काम कर रही आदिवासी नेताओं के जीवन की झलक।टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
ईकोसिस्टम डेवलपमेंट सामाजिक बदलाव के लिए ज़मीनी अनुभवों से सीखना
सुजाता खांडेकर कोरो की संस्थापक निदेशक हैं। आईडीआर से उनकी इस बातचीत में जानिए कि सामाजिक परिवर्तन की कोशिशों में जमीनी स्तर के ज्ञान और अनुभव को कैसे शामिल किया जा सकता है। -
लिंग आईडीआर इंटरव्यूज । सुषमा अयंगर
कच्छ में अपने अभूतपूर्व काम के लिए जानी जाने वाली सुषमा अयंगर आईडीआर से बातचीत में बता रही हैं कि उनका सारा ध्यान महिला अधिकार और ग्रामीण विकास पर क्यों हैं। साथ ही उन्हें क्यों लगता है कि आज महिला सशक्तिकरण का दायरा आर्थिक परिवर्तन तक सीमित है। -
अधिकार ई-श्रम रजिस्ट्रेशन की प्रक्रियाओं से जुड़ी अव्यवस्था
अपने ई-श्रम कार्ड रजिस्ट्रेशन के लिए देश भर के अनौपचारिक मज़दूरों को आर्थिक लाभ से जुड़ी अफ़वाहों, धोखाधड़ी और मुश्किल प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है।