राकेश स्वामी
राकेश स्वामी आईडीआर में सह-संपादकीय भूमिका मे हैं। वह राजस्थान से जुड़े लेखन सामग्री पर जोर देते है और हास्य से संबंधित ज़िम्मेदारी भी देखते हैं। राकेश के पास राजस्थान सरकार के नेतृत्व मे समुदाय के साथ कार्य करने का एवं अकाउंटेबलिटी इनिशिएटिव, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च मे लेखन एवं क्षमता निर्माण का भी अनुभव है। राकेश ने आरटीयू यूनिवर्सिटी, कोटा से सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक किया है।
राकेश स्वामी के लेख
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हल्का-फुल्का एनजीओ वालों से ना पूछो: इस पेशे में कितना पैसा, कैसा पैसा?
समाज को बदलने के बुलंद इरादों लेकिन उतनी ही कम सैलरी के चलते एनजीओ वर्कर को समाज और परिवार जिस तरह से देखता है, उसमें जमीन-आसमान का फर्क दिखता है। -
हल्का-फुल्का फील्ड सर्वे करने जाएं तो ऐसे जवाबों के लिए तैयार रहिएगा
फील्ड सर्वे के दौरान समुदाय से मिले, जरूरी सवालों के कुछ दिलचस्प और मजेदार जवाब। -
हल्का-फुल्का एनजीओ में काम करने वालों का… दरद ना जाने कोय
विकास सेक्टर में काम करने वालों को लेकर परिवार, समाज और बाक़ी लोगों की सोच और उनके सच में कितना अंतर होता है। -
हल्का-फुल्का घर से काम करने में कई सुविधाएं हैं, लेकिन उसकी अपनी दुविधाएं हैं
वर्क फ़्रॉम होम में अक्सर दिखने वाले वे दृश्य जिनका हिस्सा आप नहीं बनना चाहेंगे। -
नज़रिया राजस्थान में आज भी महिलाओं को डायन बताने की कुप्रथा क्यों क़ायम है?
राजस्थान समेत देशभर में आज भी महिलाओं को डायन बताकर उत्पीड़ित करने की कुप्रथा है जिसकी जड़ें पितृसत्ता, मानवीय लालच और कमजोर कानूनों में दबी दिखाई देती हैं। -
हल्का-फुल्का जलवायु समस्या का हल मिल गया है!
राजस्थान में बारिश और बादल का तो नहीं, लेकिन बॉटल का पानी हर समय मिल सकता है।