हलीमा अंसारी
हलीमा अंसारी आईडीआर में सम्पादकीय विश्लेषक के रूप में कार्यरत हैं जहां वे आलेखों के लेखन, सम्पादन और प्रकाशन की जिम्मेदारी सम्भालती हैं। वे टेक्नोलॉजी में लिंग और नैतिकता जैसे विषय में रूचि रखती हैं और उन्होंने फ़ेमिनिज़म इन इंडिया और एमपी-आईडीएसए के लिए इस विषय पर लेख भी लिखे हैं। हलीमा ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पॉलिटिक्स एवं एरिया स्टडीज़ में एमए किया है और लेडी श्रीराम कॉलेज फ़ॉर वीमेन से इतिहास में बीए की पढ़ाई पूरी की है।
हलीमा अंसारी के लेख
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प्रोग्राम युवाओं को संवैधानिक मूल्यों से जोड़ना हमेशा चलने वाली एक यात्रा है
भले ही भारत का संविधान विश्व स्तर पर सबसे उदार और प्रगतिशील संविधानों में से एक माना जाता है, लेकिन देश का युवा इसके बारे में कम ही जानता है। -
लिंग पुरुषों का साथ महिलाओं के लिए भूमि अधिकार हासिल करना आसान बना सकता है
महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने के लिए काम कर रही समाजसेवी संस्थाओं के लिए यह स्थापित करना जरूरी है कि लड़ाई पुरुषों से नहीं, पितृसत्ता से है।वुमैनिटी फाउंडेशन द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
लिंग महिलाएं जलवायु परिवर्तन के काम को रफ्तार दे सकती हैं
महिलाओं के लिए एक ऐसा वातावरण बनाने की जरूरत है जहां वे जलवायु समस्याओं के हल खोजने में प्रमुख भूमिका निभा सकें क्योंकि ये उन्हें सबसे अधिक प्रभावित करती हैं।दसरा द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
लिंग आत्मदाह और एसिड हमले के पीड़ितों को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए?
एसिड हमले और आत्मदाह के पीड़ितों को ऐसे पुनर्वास कार्यक्रमों की जरूरत है जिनमें समाज और वे खुद भी उन्हें उनके बदले स्वरूप में स्वीकार कर सकें।