देबोजीत दत्ता
देबोजीत दत्ता आईडीआर में समपादकीय सहायक हैं और लेखों के लिखने, संपादन, सोर्सिंग और प्रकाशन के जिम्मेदार हैं। इसके पहले उन्होनें सहपीडिया, द क्विंट और द संडे गार्जियन के साथ संपादकीय भूमिकाओं में काम किया है, और एक साहित्यिक वेबज़ीन, एंटीसेरियस, के संस्थापक संपादक हैं। देबोजीत के लेख हिमल साउथेशियन, स्क्रॉल और वायर जैसे प्रकाशनों से प्रकाशित हैं।
देबोजीत दत्ता के लेख
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पर्यावरण क्या स्थानीय मोबाइल रिपेयर की दुकानें ई-कचरे को कम करने में मदद कर सकती हैं?
कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयर की दुकानों लंबे समय से उपकरणों के जीवनकाल को बढ़ाने में मदद कर रही हैं। लेकिन उन्हें जीवित रहने के लिए समर्थन की ज़रूरत है। -
हल्का-फुल्का एक वर्चुअल वर्कशॉप कैसे (न) करें
यह एक सत्य घटना पर आधारित नहीं है! -
सामाजिक न्याय रोहिंग्या संकट में नागरिक समाज संगठन कैसे मदद कर सकते हैं?
भारत में रोहिंग्या समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है, वे विस्थापित हैं और अदृश्य कर दिए गए हैं। नागरिक समाज उन्हें एक गरिमामय जीवन तक पहुंचने में कैसे मदद कर सकता है? -
हल्का-फुल्का दर्द-ए-डेडलाइन
शाहरुख़ खान के दिलचस्प जिफ्स, उन तमाम डेडलाइन्स के लिए जिन्हें आप चूक चुके हैं। -
लिंग आत्मदाह और एसिड हमले के पीड़ितों को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए?
एसिड हमले और आत्मदाह के पीड़ितों को ऐसे पुनर्वास कार्यक्रमों की जरूरत है जिनमें समाज और वे खुद भी उन्हें उनके बदले स्वरूप में स्वीकार कर सकें। -
सामाजिक न्याय आंकड़े मुस्लिम महिला श्रमिकों के बारे में क्या नहीं बताते हैं?
महामारी ने जहां एक तरफ़ मध्य और उच्च वर्ग की मुस्लिम महिलाओं के लिए नौकरी पाना आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर निम्न-आय वाले परिवारों और प्रवासियों को इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है।मैकऑर्थर फ़ाउंडेशन द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
शिक्षा कश्मीरी जनजातियों के सामने रोज़गार या शिक्षा में से एक को चुनने की दुविधा क्यों है?
मौसमी प्रवासन, कम आय और जाति-आधारित भेदभावों के चलते गुज्जर बकरवाल और चोपन जैसी कश्मीरी जनजातियों तक शिक्षा नहीं पहुंच पा रही है।टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
विविधता चार जनजातियां, चार व्यंजन और परंपरागत खानपान पर ज्ञान की चार बातें
चार जनजातियों के रसोइये अपने व्यंजनों के साथ अपनी खाद्य संस्कृति पर आए खतरों पर चर्चा कर रहे हैं क्योंकि जंगलों के खत्म होने के साथ उनके समुदाय आजीविका के लिए संघर्ष करते हुए शहरों का रुख करने लगे हैं।टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड -
लिंग महिलाओं के नेतृत्व को पहचानने के अवसर में तब्दील एक संकट
स्वयं शिक्षण प्रयोग की संस्थापक प्रेमा गोपालन से हुई बातचीत जिसमें वे महिलाओं के लिए आजीविका के स्थायी साधन के रूप में खेती की भूमिका पर बात कर रही हैं।अशोक द्वारा समर्थितहिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड