सरल कोश: स्पेशल एजुकेशन
विकास सेक्टर में अक्सर तमाम प्रक्रियाओं और घटनाओं के वर्णन के लिए एक खास तरह की शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है। आपने ऐसे कुछ शब्दों और उनके इस्तेमाल को लेकर असमंजस का सामना भी किया होगा। इसी असमंजस को दूर करने के लिए हम एक ऑडियो सीरीज ‘सरल-कोश’ लेकर आए हैं, जिसमें हम अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण शब्दों पर बात करेंगे।
स्पेशल एजुकेशन, जिसे विशेष शिक्षा भी कहा जाता है, उन बच्चों के लिए तैयार की गई शैक्षिक प्रणाली है, जिन्हें सामान्य शिक्षण प्रक्रियाओं से सीखने में कठिनाई होती है। ये कठिनाइयां मानसिक, शारीरिक या संवेदी अक्षमताओं के कारण हो सकती हैं। इस शिक्षा प्रणाली का मूल उद्देश्य यह है कि हर बच्चे को उसकी जरूरतों और सीखने की क्षमता के अनुसार शिक्षा मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षण के तरीके, कक्षा के माहौल और पाठ्यक्रम को बच्चों की जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाए।
स्पेशल एजुकेशन में प्रशिक्षित शिक्षक अक्सर वैकल्पिक पद्धतियों का उपयोग करते हैं, जैसे—चित्रों, खेलों या गतिविधि आधारित शिक्षण, जिससे बच्चे सहज रूप से समझ सकें। वर्तमान में कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
स्पेशल एजुकेशन न केवल एक संवेदनशील शैक्षिक दृष्टिकोण है, बल्कि शिक्षा को एक बुनियादी अधिकार के रूप में सुलभ और न्यायसंगत बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य किसी बच्चे को अलग करना नहीं, बल्कि उसकी विशिष्ट जरूरतों को समझकर उसके सामने आने वाली रुकावटों को दूर करना है।
अगर आप इस सीरीज में किसी अन्य शब्द को और सरलता से समझना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब के कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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