सुनने में अच्छा लगा लेकिन समझ कुछ नहीं आया!
विकास सेक्टर के भारी-भरकम शब्दों (जॉर्गन) के साथ ज़मीनी कार्यकर्ताओं के अनुभव।
२४ जनवरी २०२४ को प्रकाशित

लेखक के बारे में
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अंजलि मिश्रा, आईडीआर में हिंदी संपादक हैं। इससे पहले वे आठ सालों तक सत्याग्रह के साथ असिस्टेंट एडिटर की भूमिका में काम कर चुकी हैं। उन्होंने टेलीविजन उद्योग में नॉन-फिक्शन लेखक के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। बतौर पत्रकार अंजलि का काम समाज, संस्कृति, स्वास्थ्य और लैंगिक मुद्दों पर केंद्रित रहा है। उन्होंने गणित में स्नातकोत्तर किया है।