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परिचय

हम कौन हैं?

इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू (आईडीआर) सामाजिक बदलाव और फिलैंथ्रॉपी से जुड़ी सोच, विचारों और अनुभवों को प्रकाशित करने वाला एशिया का सबसे बड़ा स्वतंत्र ज्ञान मंच है।

वर्ष 2023 में हमें भारत के सबसे नवाचारी संगठनों में से एक के रूप में मान्यता मिली। आईडीआर सेक्टर की जटिल चुनौतियों पर काम करने वाले लोगों की कहानियां, विचार और अनुभव उन्ही की ज़ुबानी साझा करता है, ताकि विभिन्न मुद्दों पर चले रहे प्रयासों के बीच एक सेतु बन पाए। हमारा लेखन पूरी तरह तथ्यों पर आधारित और संपादकीय रूप से स्वतंत्र है। हमारा उद्देश्य सेक्टर से जुड़ी जानकारी को सरल और प्रासंगिक बनाना है, ताकि आप जो काम करते हैं, उसे और बेहतर तरीके से कर सकें। 

हम मानते हैं कि समाज में ज्ञान के माध्यम से बदलाव लाना मुमकिन है। इसलिए हमारी कोशिश है कि हम ऐसे विषयों और आवाजों को एक मंच दे पायें, जो अक्सर अनसुने रह जाते हैं। एक ऐसा मंच, जो सामाजिक प्रगति के लिए जरूरी है।

आईडीआर की शुरुआत क्यों हुई?

भारत का विकास सेक्टर सामाजिक बदलाव को आगे बढ़ाने की गहरी समझ और अनुभव से समृद्ध है। लेकिन ये ज्ञान अक्सर बिखरा हुआ होता है और कभी लोगों के निजी अनुभवों, तो कभी संस्थाओं तक ही सिमटकर रह जाता है। यह न तो सही समय पर, न सही रूप में और न ही सही लोगों तक पहुंच पाता है।

जब हमारे अनुभव और सीख एक-दूसरे तक नहीं पहुंच पाते, तो हम न तो व्यक्तिगत स्तर पर अपनी योजनाओं और संसाधनों को पूरी तरह साकार कर पाते हैं, और न ही एक समूचे क्षेत्र के रूप में मिलकर वह बदलाव ला पाते हैं जिसकी दरकार है।

इन्हीं कारणों से 2017 में हमने एक गैर-लाभकारी संस्थान के रूप में इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू (आईडीआर) की शुरुआत की। हमारा मकसद है इन बिखरे हुए विचारों, अनुभवों और दृष्टिकोणों को एक जगह लाना, ताकि हम उन करोड़ों भारतीयों की आवाज को बेहतर और नैतिक रूप से सामने ला पायें, जिनके साथ और जिनके लिए हम काम करते हैं।

आईडीआर विकास सेक्टर की एक ऐसी आवाज बनने की कोशिश है, जो सेक्टर से ही निकलती हो और इसकी पैरवी भी करे। हम उम्मीद करते हैं कि हमारा काम इस सेक्टर को अधिक जागरूक, चिंतनशील और प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

हम क्या करते हैं?

हमारा मानना है कि सामाजिक जटिलताओं का हल केवल किसी एक दृष्टिकोण या क्षेत्र से नहीं निकल सकता। इसलिए हम ऐसे विचारों, अनुभवों और उपायों पर ध्यान देते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों की साझी समझ पर आधारित हों। फिर चाहे वो जमीनी काम का अनुभव हो, शोध पर आधारित सोच हो, या फिर नीति और कार्यक्रमों से जुड़े सबक हों। हम जानते हैं कि किसी जटिल समस्या को हल करने की दिशा में ज्ञान पहला, लेकिन एक जरूरी कदम है। इसी सोच के साथ हमारी अनुभवी संपादकीय टीम स्पष्ट और सरल भाषा में तथ्यपरक लेख तैयार करती है, जो न केवल आपको विषय की गहरी जानकारी देते हैं बल्कि नई दिशा में सोचने के लिए भी प्रेरित करते हैं।

हमारी संपादकीय नीति पूरी तरह स्वतंत्र और किसी फंडर, संस्था या साझेदारी के प्रभाव से मुक्त है। हम अपने आपको इस बात के लिए जवाबदेह मानते हैं कि हम आपके सामने जरूरी मुद्दे रखें—फिर चाहे वे किसी जमीनी स्तर के संगठन की बात हो या बड़ी फंडिंग संस्थाओं की। हम केवल सफल प्रयासों की ही नहीं, बल्कि उन चुनौतियों और विफलताओं की भी बात करते हैं जिनसे हम सभी कुछ सीख सकते हैं। हम दूरदर्शी विचारों के साथ-साथ ऐसी व्यावहारिक जानकारी भी प्रकाशित करते हैं, जो रोजमर्रा के काम में कार्यक्रमों और संगठनों को बेहतर बनाने में मददगार होती है।

आईडीआर सोमवार से शुक्रवार तक, रोजाना कम से कम एक लेख प्रकाशित करता है। इनमें से कई कहानियां और जानकारियां पहली बार डिजिटल माध्यम पर दर्ज होती हैं, जिससे उनकी पूरे देश और दुनिया में लाखों लोगों तक पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए, अपने हर लेख को तैयार करते समय हम खुद से एक सवाल ज़रूर पूछते हैं—क्या यह कहानी पाठकों को कुछ नया सोचने, महसूस करने या कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगी? क्या यह हमारे सेक्टर को अधिक संवेदनशील और प्रभावशाली बना पाएगी?

2000+

पांच सालों में प्रकाशित लेख 

26%

कम चर्चित विषयों पर लेख

28

राज्यों से जुड़ी कहानियां

हम किसके लिए लिखते हैं?

आईडीआर उन सभी लोगों के लिए है, जो भारत में सामाजिक बदलाव से जुड़ी सोच में रुचि रखते हैं—चाहे वे इस दिशा में पहले से काम कर रहे हों, सीख रहे हों, या शुरुआत करना चाहते हों। देश भर के बड़े महानगरों से लेकर छोटे कस्बों और दूर-दराज़ के इलाकों तक, विकास सेक्टर से जुड़े तमाम लोग पाठक के तौर पर हमसे जुड़े हुए हैं।

53%

आईडीआर के पाठक और लेखक महिलाएं हैं

41%

हमारे पाठकों की उम्र 25 से 34 वर्ष के बीच है

36

राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों तक IDR की पहुंच (पाठकों के संदर्भ में)

हम कैसे काम करते हैं?

हमारे सहयोगी लेखकों में विकास सेक्टर के विशेषज्ञ, अभ्यासकर्ता (प्रैक्टिशनर), दानदाता (डोनर), विचारक, शोधकर्ता, जमीनी कार्यकर्ता और एक्टिविस्ट शामिल हैं। जब वे आईडीआर के लिए लिखते हैं, तो वे हम पर यह भरोसा करते हैं कि हम उनकी आवाज़ और अनुभव को जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से प्रस्तुत करेंगे और उनकी कहानियों को सही तरीके से पाठकों तक पहुंचायेंगे।

हम इस भरोसे का मान रखते हुए हर उस जगह पहुंचने का प्रयास करते हैं, जहां लोग और उनकी कहानियां मौजूद हैं। लेख को तैयार करने की प्रक्रिया में हम अपने सहयोगियों का हर कदम पर साथ देते हैं। कभी हम अनुवाद और प्रतिलेखन (ट्रांसक्रिप्शन) जैसे तकनीकी पहलुओं में उनकी मदद करते हैं, तो कभी उनके काम और अनुभव को आम पाठकों के लिए सहज और सरल भाषा में ढालने का काम करते हैं।

हमारा मकसद है कि हम अपने लेखकों का ज्ञान उसी रूप में साझा करें जैसा उनका अनुभव है, ताकि वह पाठकों के लिए प्रासंगिक भी हो और अधिक से अधिक लोगों तक भी पहुंच सके। इसी वजह से हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे लेख मुख्यधारा के मीडिया में भी पुनर्प्रकाशित हों, ताकि उनकी पहुंच और प्रभाव का दायरा व्यापक बने।

आईडीआर पूरी तरह एक निशुल्क मंच है। क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंस के तहत, आपको हमारी सामग्री पढ़ने, साझा करने या पुनर्प्रकाशित करने के लिए कभी किसी तरह का भुगतान नहीं करना होगा। हर लेख के साथ संभावित हितों के टकराव की जानकारी स्पष्ट रूप से दी जाती है।

हमारे मंच पर हर लेख को लेखक से अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद ही प्रकाशित किया जाता है।

2/3

IDR के लेख मुख्यधारा की मीडिया में प्रकाशित हुए हैं

61

मुख्यधारा और ऑनलाइन मीडिया चैनल IDR की कहानियाँ साझा करते हैं

हमारे मूल्य

हमारा काम, हमारी शैली और हमारे उद्देश्य इन पांच मूल्यों पर आधारित हैं:

साहस

हम प्रचलित व्यवस्था को चुनौती देते हैं। हम वह करने और कहने का साहस रखते हैं, जिसे हम सही मानते हैं। फिर भले ही वह बात लोकप्रिय न हो।

हम खुलकर नए मौकों को अपनाते हैं।

हम सभी प्रतिक्रियाओं को स्वीकारते हैं और अपनी गलतियों की ज़िम्मेदारी लेते हैं, ताकि हम लगातार सीख सकें और बेहतर बन पायें।

सौहार्द

हम अपने काम को उत्सुकता और खुलेपन के साथ अपनाते हैं।

हमारे लिए हंसी-मज़ाक भी काम का उतना ही अहम हिस्सा है, जितना मेहनत करना। 

निष्ठा

हम जो कहते हैं, वही करते हैं, और जो करते हैं, वही कहते हैं। हम ईमानदार, भरोसेमंद और विश्वासपात्र हैं।

हम जिन समुदायों के साथ काम करते हैं, उनके साथ नैतिक स्तर पर गहरी प्रतिबद्धता हमारा मार्गदर्शन करती है। हम परिणाम की चिंता किए बिना अपने मूल्यों पर डटे रहते हैं।

श्रेष्ठता

हम अपने लिए ऊंचे मानक तय करते हैं। हमारा मानना है कि हर काम—चाहे बड़ा हो या छोटा—हमारे समय, ध्यान और बेजोड़ प्रयास का हकदार है।

हम निरंतर सीखने और आत्म-चिंतन की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं, क्योंकि यही हमें आगे बढ़ने और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करता है।

करुणा

समुदाय हमारी असली ताकत है। इससे जुड़े रिश्तों को हम पूरी ईमानदारी, विनम्रता और सम्मान के साथ संवारते हैं।

हमारे हर काम के केंद्र में लोग होते हैं। हम एक ऐसा परिवेश बना रहे हैं, जहां हर कोई सक्षम और प्रेरित महसूस कर सके। 

टीम

बोर्ड

नैतिकता कथन

हमारा काम

आईडीआर का मकसद है कि भारत में सामाजिक बदलाव से जुड़ी समझ और ज्ञान को आगे बढ़ाया जाए।

हमारी संपादकीय नीति विकास सेक्टर के विविध समाधानों, विचारों और जमीनी अनुभवों को एक मंच पर लाने का काम करती है। हम जानते हैं कि किसी जटिल समस्या को हल करने की दिशा में ज्ञान पहला, लेकिन एक जरूरी कदम है। इसी सोच के साथ हम स्पष्ट और सरल भाषा में तथ्यपरक लेख तैयार करते हैं, जो न केवल आपको विषय की गहरी जानकारी देते हैं बल्कि नई दिशा में सोचने के लिए भी प्रेरित करते हैं।

हमारे संपादकीय निर्णय पूरी तरह स्वतंत्र और किसी फंडर, संस्था या साझेदारी के प्रभाव से मुक्त हैं। हम अपने सामूहिक अनुभव और समझ के आधार पर विषय तय करते हैं, ताकि अपने पाठकों के लिए रोचक और उपयोगी सामग्री तैयार कर सकें। स्वतंत्रता, गुणवत्ता और प्रासंगिकता हमारे काम के सबसे अहम सिद्धांत हैं।

हमारी आवाज़

आईडीआर एक विविध समुदाय के साथ काम करता है, जिसमें विशेषज्ञ, अभ्यासकर्ता (प्रैक्टिशनर), दानदाता (फंडर), शोधकर्ता, लेखक, डिज़ाइनर और फ़्रीलांसर शामिल हैं। भारत के विकास सेक्टर में काम करने वाले या इसमें निवेश करने वाले कई लोग आईडीआर को पढ़ते हैं, इसके लिए लिखते हैं या किसी न किसी रूप में अपना योगदान देते हैं। हमारी आवाज़ें भले अलग-अलग हों, लेकिन कुछ मूल्यों पर हम सभी का एक समान विश्वास है।

हम मानते हैं कि भारत के विकास सेक्टर में सामाजिक बदलाव को आगे बढ़ाने की अपार समझ और अनुभव मौजूद है। लेकिन यह ज्ञान सभी के लिए सुलभ नहीं है। यह अक्सर लोगों के अनुभवों में या संस्थाओं के भीतर सीमित रह जाता है। इन अमूल्य अनुभवों, दृष्टिकोणों और निर्णयों के बारे में जानकारी को सुलभ बनाना ज़रूरी है, ताकि यह सेक्टर मजबूती के साथ आगे बढ़ सके।

मार्गदर्शक सिद्धांत

आईडीआर में हमारी प्रमुख जिम्मेदारी पाठकों के लिए निष्पक्ष, स्वतंत्र और गुणवत्तापूर्ण सामग्री तैयार करना। यही हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत का आधार भी है।  

प्रमाणिकता

हम अपने पाठकों के लिए सामग्री का चयन करने के बाद उसे तैयार व प्रकाशित करते हैं। हम मानते हैं कि हमारे सहयोगी लेखक अपने लेख में दिए गए सभी आंकड़ों, ग्राफ और जानकारी की जांच कर चुके हैं। इसके साथ ही हमारी टीम भी इन आंकड़ों और तथ्यों का सत्यापन करती है। जहां आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, वहां हम अपने सहयोगी लेखकों की विशेषज्ञता पर भरोसा करते हैं। किसी त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाए जाने पर उसमें तुरंत सुधार किया जाता है। 

संपादकीय विचार

आईडीआर पर प्रकाशित कई लेख सहयोगी (बाहरी) लेखकों द्वारा लिखे जाते हैं। इसलिए किसी भी लेख में व्यक्त विचारों को पूरे संगठन की राय नहीं समझा जाना चाहिए।

प्रबंधन

इंडिया डेवलमेंट रिव्यू सेक्शन 8 के तहत दर्ज एक गैर-लाभकारी कंपनी है। हमारा बोर्ड वित्तीय निगरानी और कॉरपोरेट प्रशासन की ज़िम्मेदारी निभाता है और साथ ही सीईओ और वरिष्ठ टीम को रणनीतिक सुझाव भी देता है। बोर्ड के सभी सदस्यों की पूरी सूची हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है।

फंडर्स के साथ संबंध

आईडीआर विकास सेक्टर की अलग-अलग आवाज़ों का एक मंच है। इस कारण कभी-कभी इस मंच पर हमारे किसी वर्तमान फंडर द्वारा लिखा गया लेख भी प्रकाशित हो सकता है, या वे हमारे किसी लेख में शामिल हो सकते हैं। ऐसे हर अवसर पर, हम फंडर के साथ अपने संबंध की स्पष्ट जानकारी लेख के साथ साझा करते हैं।

एक अनुदान-आधारित गैर-लाभकारी संस्था होने के नाते हमारे लिए अपने सभी फंडर्स के विषय में पूरी पारदर्शिता बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है।

व्यक्तिगत हितों का टकराव

अगर आईडीआर का कोई सदस्य किसी ऐसी संस्था के बोर्ड में हो, या उनके जीवनसाथी, पार्टनर या कोई करीबी उस संस्था में कार्यरत हो, जिसे आईडीआर में प्रकाशित किया जा रहा हो, तो इस संबंध की जानकारी स्पष्ट रूप से लेख में साझा की जाती है।

पेशेवर मंचों पर भागीदारी

हमारी टीम के सदस्य अक्सर विशेषज्ञ के रूप में विभिन्न सम्मेलनों, चर्चा सत्रों और मीडिया मंचों पर आमंत्रित होते हैं। इन अवसरों पर हमारी भागीदारी का अर्थ यह नहीं है कि हम वहां चर्चा में आए किसी संगठन या व्यक्ति का समर्थन करते हैं।

फंडिंग पार्टनर्स

हमारे पूर्व और वर्तमान फंडिंग पार्टनर्स में शामिल हैं:

आरती और अभय हवलदार, आशीष धवन, अशोका सेंटर फॉर सोशल इम्पैक्ट एंड फिलैंथ्रॉपी, एटीई चंद्रा फाउंडेशन, ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट, डाइरेक्ट वेब एक्सेस लिमिटेड, डॉ रेड्डी फाउंडेशन, अडेलगिव फाउंडेशन, फिओना और लुईस मिरांडा, फोर्ब्स फाउंडेशन, गोविंद अय्यर, हिंदुस्तान यूनिलीवर फाउंडेशन, एचटी पारेख फाउंडेशन, इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (आईपीएसएमएफ)*, कोइटा फाउंडेशन, क्षीरसागर आप्टे फाउंडेशन, रैनमैटर फाउंडेशन, रति एंड रिया फोर्ब्स, रोहिणी नीलेकनी फिलैंथ्रॉपीज, टाटा ट्रस्ट्स और विद्या शाह। 

  • इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (आईपीएसएमएफ) ने सार्वजनिक हित से जुड़ी खबरों की रिपोर्टिंग और प्रकाशन के लिए आईडीआर को वित्तीय सहायता प्रदान की। आईडीआर द्वारा अपनी वेबसाइट या किसी अन्य मंच पर प्रकाशित सामग्री की कानूनी या नैतिक जिम्मेदारी आईपीएसएमएफ की नहीं है।

हमारे साथ काम करें: 

हमारे यहां इस समय कोई नियुक्ति नहीं चल रही है।
OR

आईडीआर हिंदी को एक *सोशल मीडिया मैनेजर* की आवश्यकता है।