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हल्का-फुल्का

हीरामंडी के बहाने जानिए समाजसेवी संस्थाओं की भावनाएं

विकास सेक्टर में आपको हीरामंडी जितना ही ड्रामा और इमोशन मिलेगा।
हीरामंडी सीरीज का सीन_हीरामंडी
२४ मई २०२४ को प्रकाशित

जब समाजसेवी संस्थाएं अपने काम के प्रभाव (इम्पैक्ट) के बारे में बात करती हैं तो वे भीतर ही भीतर क्या महसूस करती हैं- 

जिफ़ साभार: जिफ़ी

जब फंडर्स अपने उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बता रहे हों, तब समाजसेवी संस्थाएं

जिफ़ साभार: जिफ़ी

जब अपने पैरों पर चलने के लिए संघर्ष कर रही संस्था को प्रोग्राम रेस्ट्रिक्टेड फ़ंडिंग मिले, और उसे स्वीकार करनी पड़े-

जिफ़ साभार: जिफ़ी

जब फ़ंडिंग ना मिलने का ईमेल मिले-

जिफ़ साभार: जिफ़ी

जब समाजसेवी संस्था समुदाय की कोई नई समस्या खोजकर सामने लाए और उसके पास उसका समाधान भी हो-

जिफ़ साभार: जिफ़ी

जब कोई कार्यक्रम (प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन) सफलता के साथ पूरा हो जाए-

जिफ़ साभार: जिफ़ी

जब एफसीआए को लेकर सरकार कुछ कहे तो समाजसेवी संस्थाओं को क्या सुनाई देता है-

जिफ़ साभार: जिफ़ी

और, कुछ मौक़े ऐसे भी आते हैं जब समाजसेवी संस्थाएं समुदायों की नहीं सुनती हैं, तब समुदाय-

जिफ़ साभार: जिफ़ी

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