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हल्का-फुल्का

सोशल सेक्टर में एंट्री करने वालों के लिए सलाहनामा

पहली सलाह - जोश में आओ, पर होश में रहो! इससे आगे नीचे पढ़ें।
फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' का एक दृश्य_सोशल सेक्टर
२३ मई २०२५ को प्रकाशित

1. जब आप किसी प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग जुटा रहे हों और खुद भी उसे बस 70% तक ही समझ पाए हों, लेकिन फिर भी फंडर को 100% कॉन्फिडेंस दिखाना हो! ऐसी सूरत में आपको यह करना है:

फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' के एक प्रतिनिधि दृश्य में अभिनेता आमिर खान 'ऑल इज़ वेल' डायलॉग बोलते हुए_सोशल सेक्टर

2. जब सरकारी अधिकारी मीटिंग में कहें, ‘आपका आइडिया तो बहुत अच्छा है, हम इस पर जरूर एक्शन लेंगे।’ इसका मतलब है:

फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' के एक दृश्य में इंटरव्यू देते हुए किरदार से बोला जा रहा है कि, 'तुम अगले साल फिर से इस एग्जाम में बैठोगे'_सोशल सेक्टर

3. जब आपको सेक्टर में पहली नौकरी मिले और आपसे कहा जाए, “अगर काम की समझ बनानी है, तो पहले यहां अनपेड इंटर्नशिप करनी होगी।” ऐसी नौकरी करते हुए आपका अंतर्मन:

फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' के एक दृश्य में दो कलाकारों के बीच संवाद का एक डायलॉग, 'सर, यहां के प्रेशर को मापने की कोई मशीन ही नहीं बनी'_सोशल सेक्टर

4. फंडिंग एप्लीकेशन फॉर्म में अमूमन आपके फिंगरप्रिंट और डीएनए के अलावा सब मांग लिया जाता है! इसलिए आपको ऐसा होना पड़ेगा:

फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' के एक दृश्य में दोनों हाथों से लिखने वाले कलाकार का डायलॉग, 'मैं वो हूँ जो में कॉपी के साथ-साथ सप्लीमेंट्री लिखता है'_सोशल सेक्टर

5. यहां हर एनजीओ वर्कर के पास एक सुपरपावर होनी चाहिए, जिससे वो किसी भी कहानी को किसी भी प्रोजेक्ट इम्पैक्ट के मुताबिक ढालकर यह कह सके:

फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' का एक प्रतिनिधि दृश्य, जिसमें किरदार कह रहा है कि, 'मैं तो साहब पानी हूँ, जो हर आकार में ढल जाता हूँ'_सोशल सेक्टर

6. जब छह महीने बाद भी प्रोजेक्ट का असर न दिखे, तो खुद को ये दिलासा देना जरूरी है कि आप दुनिया बदल कर रहेंगे। खुद को याद दिलायें कि प्रोसेस पर इतना भरोसा रखना है कि जब रिजल्ट आएगा, तो सब कहेंगे:

फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' का एक हास्य दृश्य, जहां एक किरदार दूसरे किरदार से कहता है कि, 'अंदर ही अंदर से मुझे पता था, एक दिन तुम बहुत बड़े आदमी बनोगे'_सोशल सेक्टर

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