फील्ड वर्कर की डायरी: संघर्ष, सवाल और सैलरी का हिसाब!
समुदाय के साथ काम करते हुए, समाजसेवी संस्थाओं के जमीनी कार्यकर्ता कई बार ऐसी दुविधाओं से गुजरते हैं जब उन्हें समझ नहीं आता कि हंसे या नाराज हों, ऐसी ही कुछ झलकियां।
११ अप्रैल २०२५ को प्रकाशित
1
जब आप एक लाभार्थी को आवास योजना के लिए दो घंटे समझाएं, तीन दिन दस्तावेज बनाने में खपा दें और छह बार से अधिक पंचायत ऑफिस उनके साथ जाएं
लाभार्थी –

2
जब आप समुदाय को जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर इकट्ठा करने में पूरी रात लगा दें लेकिन पंचायत में सुबह बस एक व्यक्ति दिखे
लाभार्थी –

3
जब आप पंचायत में पारदर्शिता की बात करते हैं – “यह फंड हमारे अधिकार हैं, इनका सही उपयोग हम सबकी जिम्मेदारी है!”
समुदाय से एक व्यक्ति-

4
जब आपको किसी लाभार्थी को किसी योजना में जोड़ते-जोड़ते लंबा वक़्त लग जाए
लाभार्थी-

5
जब आप डिजिटल साक्षरता अभियान चलाने के लिए समुदाय के साथ एक बड़ी मीटिंग रखने का प्रस्ताव प्रतिनिधियों को दें
लाभार्थी-

लेखक के बारे में
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राकेश स्वामी आईडीआर में सह-संपादकीय भूमिका मे हैं। वह राजस्थान से जुड़े लेखन सामग्री पर जोर देते है और हास्य से संबंधित ज़िम्मेदारी भी देखते हैं। राकेश के पास राजस्थान सरकार के नेतृत्व मे समुदाय के साथ कार्य करने का एवं अकाउंटेबलिटी इनिशिएटिव, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च मे लेखन एवं क्षमता निर्माण का भी अनुभव है। राकेश ने आरटीयू यूनिवर्सिटी, कोटा से सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक किया है।